एक ट्रेडर को उसका सही ट्रेडिंग प्लान और उसकी स्ट्रेटेजी ही उसे सफल बना इंट्राडे ट्रेडर बना सकता है। इस ब्लॉग में हम Best Intraday Trading Strategies को जानेंगे। साथ ही कोई किसी भी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी के साथ सही ट्रेडिंग प्लान कैसे बनाते है जिससे हम इंट्राडे ट्रेडिंग से मुनाफा बना सके।
ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी आखिर होती क्या है?-Best Intraday Trading Strategies
हम स्टॉक मार्केट में प्रॉफ़िट कमाने के लिए आते है, स्ट्रेटेजी(Trading Strategies) ऐसे तरीके होते है जिनकी मदद से हम किसी स्टॉक या अन्य ट्रेडिंग इन्स्ट्रुमेंट में अपनी ट्रेड की एंट्री-एक्ज़िट डिसाइड करते है। एक स्ट्रेटेजी हमें यह बताती है की कब और कहाँ हमें ट्रेड में एंट्री लेनी है और कब एक्ज़िट।
एक स्ट्रेटेजी एक तरह के नियम है जिन्हें फॉलो करके हमे ट्रेडिंग करके मुनाफा कमाने की कोशिश करते है। यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है की सिर्फ एक स्ट्रेटेजी होने से हम ट्रेडिंग में मुनाफा नहीं बना सकते हैं, एक स्ट्रेटेजी तभी कामयाब हो सकती है जब उसे सही ट्रेडिंग प्लान के साथ इस्तेमाल किया जाए।
ट्रेडिंग प्लान और ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी: ट्रेडिंग प्लान और ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी सुनने में एक जैसे ही लगते है और अकसर हम इन्हे एक ही समझते हैं । लेकिन इनमें थोड़ा सा फर्क हैं , एक स्ट्रेटेजी हमें यह बताती है की किसी स्टॉक में एंट्री और एक्ज़िट कब लेना है।
वहीं एक ट्रेडिंग प्लान वो होता है जब उस स्ट्रेटेजी के साथ हम रिस्क मेनेजमेंट और टेक्निकल एनालिसिस को को जोड़कर एक पूरा रोडमैप बनाते हैं। जैसे स्टॉप लॉस , टार्गेट रिस्क रिवार्ड रैशियो ,स्टॉक के ट्रेंड , चार्ट पैटर्न , सपोर्ट – रेसिस्टेंस इन सभी को समझकर कर एक पूरा नियम कायदे बनाते है।
इसलिए कोई भी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी से ट्रेड करें तो उसे पूरे ट्रेडिंग प्लान के साथ करना चाहिए। तभी हम इंट्राडे ट्रेडिंग में प्रॉफ़िट बना सकते हैं।
इंट्राडे ट्रेडिंग क्या होती है?-What is Intraday Trading
ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी(Trading Strategies) जानने से पहले इंट्राडे ट्रेडिंग क्या होती है ये थोड़ा समझ लेते है। इंट्राडे ट्रेडिंग वो है जिसमे हम किसी भी इन्स्ट्रुमेंट वो चाहे स्टॉक हो या फ्युचर & ऑप्शन, को एक ही दिन के ट्रेडिंग सेशन के अंदर खरीदते और बेचते हैं। मतलब हमारा स्टॉक मार्केट सुबह 9:15 से लेकर दिन के 3:30 तक खुलता है इस एक ट्रेडिंग सेशन के अंदर ही हमें किसी शेयर को खरीदना और बेचना होता है। इंट्राडे ट्रेडिंग में हम किसी भी शेयर को दूसरे दिन के लिए नहीं रख सकते है।
इंट्राडे ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी -Best Intraday Trading Strategies
स्टॉक मार्केट में कई सारी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी(Trading Strategies) और तरीके अपनाए जाते है। एक स्ट्रेटेजी सभी लोगों के लिए काम करे या एक स्ट्रेटेजी 100% मुनाफा ही दे तो ये अकसर नहीं होता हैं। इसलिए किसी भी स्ट्रेटेजी को अपने ट्रेडिंग प्लान के हिसाब से प्रैक्टिस करें अगर आपके लिए वो प्रॉफ़िट बना रही है तो उसी स्ट्रेटेजी पर बने रहें। एक दिन लॉस देने के बाद दूसरी स्ट्रेटेजी की तरफ नहीं जाना चाहिए।
ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी कई तरह की हो सकती है पर हम यहाँ दो तरह की स्ट्रेटेजी को जानने वाले हैं। एक वो जो इंडिकेटर की मदद से बनी होती है तो दूसरी जो कैंडलस्टिक चार्ट पैटर्न की मदद से बनी होती है। चलिये सभी को विस्तार से समझते है।
1. मुविंग एवरेज़ क्रोसओवर स्ट्रेटेजी- Moving Average Crossover Strategy
यह एक इंडिकेटर पर आधारित ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी(Trading Strategies) है। इंट्राडे ट्रेडिंग(Intraday Trading) में सबसे अच्छी काम करने वाली best intraday trading Strategies में से एक मानी जाती है। इस स्ट्रेटेजी में हम दो मुविंग एवरेज़ जो की एक तरह के इंडिकेटर होते है, उनके क्रॉसओवर पर किसी स्टॉक में एंट्री बनाते है। मुविंग एवरेज़ एक तरह की लाइन होती है जो किसी स्टॉक के एक निश्चित समय अंतराल में प्राइस मूवमेंट का औसत बताता है। इंट्राडे ट्रेडिंग में ट्रेड करने के लिए हमें कैंडल का टाइम फ्रेम 1 मिनट से लेकर 5 मिनट तक रखना चाहिए। इसे आप नीचे चार्ट में देख सकते है।
इस स्ट्रेटेजी में हम दो मुविंग एवरेज़ को लेते हैं जिनकी वैल्यू अलग-अलग होती है। जैसे 9-20 या 20-50। यहाँ इन संख्याओ का मतलब है पिछली 9 कैंडल का एवरेज़ और पिछली 20 कैंडल्स का मुविंग एवरेज़। इसी तरह कोई भी संख्या कैंडल को दर्शाती है की कितनी कैंडल्स का एवरेज़ है।
इस Trading Strategy में जब भी किसी स्टॉक के प्राइस को छोटी संख्या वाली मुविंग एवरेज़ की लाइन बड़ी संख्या वाली एवरेज़ लाइन को क्रॉस करती तो उस क्रॉसओवर पर हम स्टॉक में एंट्री लेने का प्लान बना सकते है। यह एक ट्रेंड चेंज के संकेत (signal) की तरह देखा जाता है। जिससे हम स्टॉक में एंट्री कर सकते है।
इस स्ट्रेटेजी में हमें दोनों डाइरैक्शन की ट्रेड कर सकते है। जब किसी स्टॉक का प्राइस डाउनट्रेंड में हो और सपोर्ट पर आके अगर ऊपर की और मुविंग एवरेज़ क्रॉसओवर दिखाता है तो हम यहाँ बुल्लिश ट्रेड लेते है। और जब अपट्रेंड के समय किस रेसिस्टेंस से प्राइस रिजैक्ट होने पर मुविंग एवरेज़ डाउन साइड को क्रॉसओवर दिखाये तो वहाँ सेल साइड की ट्रेड लेते है।
लेकिन ध्यान रहे पूरे दिन में प्राइस बहुत ज्यादा मूवमेंट करता है तो ये क्रॉसओवर हमें बहुत बार देखने को मिल सकते है। लेकिन किस क्रॉसओवर में हमें ट्रेड लेना है कोनसा क्रॉसओवर हमारे टार्गेट को हिट करेगा ये कन्फ़र्म करने के लिए हमे स्ट्रेटेजी को एक पूरे ट्रेडिंग प्लान के साथ एनालिसिस कर ट्रेड लेना होगा।
2. रिवर्सल ट्रेडिंग रणनीति –Reversal Trading Strategy
ये Trading Strategy थोड़ी रिस्की है इसलिए नये ट्रेडर इस स्ट्रेटेजी को ज्यादा इस्तेमाल न करे लेकिन एक अनुभवी ट्रेडर के लिए इससे मुनाफा कमाना उतना मुश्किल नहीं है।
रिवर्सल ट्रेडिंग का कान्सैप्ट सिर्फ इतना है की हम जानते है किसी भी स्टॉक का प्राइस एक तरंग के रूप में आगे बढ़ता है। जिसे हम हाइयर हाइ और हाइयर लो भी कहते है। प्राइस इसी पैटर्न को फॉलो करता है। जब भी प्राइस एक किसी ट्रेंड में होता है तो वो लगातार उसी ट्रेंड में बना नहीं रहेगा।
अगर कोई स्टॉक अपट्रेंड में है तो वो प्राइस एक रेजिस्टेंस पॉइंट से रिवर्स हो सकता है। इसी कान्सैप्ट के आधार पर ट्रेडर बेयरिश कैंडल या कोई चार्ट पैटर्न बनने पर एक रिवर्सल ट्रेंड के लिए ट्रेड करता है । ये ट्रेड अपने शुरुआती ट्रेंड के खिलाफ होता है इसलिए यह ज्यादा रिस्की ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी(Trading Strategies) होती होती है।
लेकिन एक अनुभवी ट्रेडर को यहा मालूम होता है की किस पॉइंट से प्राइस रिवर्सल होने की संभावना है और कहाँ स्टॉप लॉस और टार्गेट लगाना है।
3. ब्रेकआउट ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी- Breakout Trading Strategy
ब्रेकआउट ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी एक बेहतरीन इंट्राडे ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी(best Intraday Trading strategy) है, स्टॉक प्राइस में कई तरह के ब्रेकआउट होते है। जैसे सपोर्ट और रेसिस्टेंस का ब्रेकआउट , चार्ट पैटर्न का ब्रेकआउट, ट्रेंडलाइन का ब्रेकआउट आदि। जब भी स्टॉक का प्राइस एक लेवेल को तोड़ देता है तो हम उसे ब्रेकआउट लेवेल कहते है और उस पॉइंट पर ट्रेड में एंट्री लेते है।
सपोर्ट-रेसिस्टेंस ब्रेकआउट : जब स्टॉक का प्राइस किसी सपोर्ट या रेसिस्टेंस लेवेल को बार-बार टच करता है तो इस कंडिशन में वो लेवेल कमजोर हो जाता है। इसी कान्सैप्ट के आधार पर लेवेल ब्रेक होने की संभावना जताई जाती है। जब ही कोई भी लेवेल सपोर्ट या रेसिस्टेंस ब्रेक होता तो ट्रेडर एंट्री लेता है।
चार्ट पैटर्न का ब्रेकआउट : ट्रेडिंग में चार्ट पैटर्न का बहुत ज्यादा महत्व होता है। कैंडलस्टिक चार्ट पैटर्न ट्रेड करने के लिए सबसे आसान होते है। प्राइस बहुत सारे पैटर्न बनाता है। जैसे W पैटर्न , हैड और शोल्डर पैटर्न, कप और होल्डर पैटर्न इस तरह से पैटर्न की एक नेक लाइन होती है। जब भी इस इस नेक लाइन को प्राइस तोड़ देता है तो इसे ब्रेक आउट माना जाता है और स्टॉक में एंट्री ली जाती है।
ट्रेंड लाइन या ट्रेंड ब्रेक आउट : जब भी कोई स्टॉक किसी ट्रेंड में होता है तो हम उसके लिए एक ट्रेंड लाइन खींचकर ट्रेंड को कन्फ़र्म करते है। जब भी प्राइस इस ट्रेंड लाइन को तोड़ देता है तो हम यहाँ ट्रेंडलाइन ब्रेक आउट कहते है और ट्रेंड बदलने का अनुमान लगाते हैं। और ट्रेड में एंट्री लेते हैं।
अकसर ये ब्रेकआउट फ़ेल भी हो जाते है इसलिए इनके साथ वॉल्यूम और अन्य इंडिकेटर की भी मदद ली जा सकती है जिससे ब्रेकआउट की स्ट्रेन्थ का अंदाज़ा लगाया जा सके।
4. पुलबैक ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी- Pull back Trading Strategy
ये सुरक्षित इंट्राडे ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी(Safe Intraday Trading strategy)में से एक है। इसमें हम किसी ट्रेंड में प्राइस के छोटे-छोटे रिवर्सल पर एंट्री बनाते है। प्राइस समय-समय पर कुछ देर के लिए नीचे आता है और फिर अपने पुराने ट्रेंड को जारी करता है।
इसके अलावा इसे एक्सट्रा कन्फ़र्मेशन के लिए हम किसी भी ब्रेकआउट पर प्राइज़ को वापस एक बार उस पॉइंट को टेस्ट करने देते है। जब प्राइस ब्रेकआउट लेवल या ट्रेंडलाइन पर सपोर्ट ले तो हम ट्रेड में एंट्री लेते है। इस ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी में ट्रेंड लाइन या चार्ट पैटर्न को भी शामिल कर सकते है।
5. पिवट पॉइंट ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी- Pivot Point Trading strategy
पिवट पॉइंट एक तरह का इंडिकेटर है जो हमें बन-बनाए सपोर्ट और रेसिस्टेंसे लेवल दिखाता है। शुरुआती लोगों के लिए ये बेहतर इंडिकेटर है जिन्हें चार्ट पर सपोर्ट और रेसिस्टेंस फाइंड करने में मुश्किल होती होती है।
ये इंडिकेटर अपने आप चार्ट पर सपोर्ट और रेसिस्टेंस की लाइन बना देता है। जिससे हमें ये अंदाज़ा हो जाता है की इस पॉइंट पर प्राइस के लिए सपोर्ट है और यहाँ रेसिस्टेंस।
इस Trading Strategy में हम कई तरह से एंट्री ले सकते है। प्राइस के ट्रेंड को देखते हुये सपोर्ट और रेसिस्टेंस पर एंट्री बनाई जा सकती है। अगर प्राइस अप ट्रेंड में है और पिवट लेवेल सपोर्ट ले रहा है तो बुल्लिश ट्रेड में एंट्री ली जा सकती है या रेसिस्टेंस लेवेल को ब्रेक होने पर एंट्री ली जा सकती है।
इस तरह डाउनट्रेंड में भी सपोर्ट ब्रेक होने पर एंट्री ली जा सकती है। जब प्राइस साइडवेज़ ट्रेंड में हो तो सपोर्ट के पास बाइ और रेसिस्टेंस के पास सेल करके भी ट्रेड किए जा सकते है।
5. पोल एंड फ़्लेग ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी – Pole and flag Trading Strategy
ये एक चार्ट पैटर्न पर आधारित Best Intraday Trading Strategies में से एक है और काफी सटीक इंट्राडे ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी भी है। जैसे नाम से ही पता चलता है की इसमे एक पोल और एक फ़्लेग का चार्ट पैटर्न है। जिसके ब्रेकआउट पर हमें एंट्री लेनी है।
इस पैटर्न के पीछे का कान्सैप्ट सिर्फ इतना है की जब प्राइस एक ट्रेंड में हो और ये पैटर्न बनाता है तो प्राइस अपने पिछले ट्रेंड को जारी रखेगा। जब पोल एंड फ़्लेग पैटर्न अपट्रेंड में बनता है तो संभावना होती है की प्राइस , पैटर्न का ब्रेकआउट करके उसी ट्रेंड को जारी रखेगा। इस तरह डाउनट्रेंड में भी यही कान्सैप्ट से ट्रेड लिया जाता है।
ये कुछ Best Intraday Trading strategies हैं जो अकसर इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading) में उपयोग की जाती है। सभी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी के अपने अपने लॉजिक और कान्सैप्ट होते होते हैं। जिन्हें हमें फॉलो करके ही ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी को उपयोग में लाना चाहिए।
ध्यान देने योग्य बातें
एक बात जो हर नए ट्रेडर को समझनी चाहिए की कोई भी Best Trading strategies आपको हर दिन प्रॉफ़िट बना के नहीं दे सकती है। हर दिन मार्केट की कंडिशन अलग अलग होती है। कभी मार्केट में न्यूज़ या कोई इवैंट होता सकता है जिससे मार्केट का सेंटिमेंट बिलकुल ही बदल जाता है। तो एक ही ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी से हर दिन प्रॉफ़िट बनाना मुश्किल हो सकता है। मार्केट के कंडिशन और स्ट्रक्चर के हिसाब से अपनी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी का उपयोग करना चाहिए। और साथ ही मार्केट न्यूज़ और इंपोर्टेंट इवैंट पर भी नजर बनाए रखे , जिन्हें हम NSE या moneycontrol पर देख सकते है।
जैसा की हमें शुरू में ही बताया था की सिर्फ ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी ही आपको इंट्राडे ट्रेडिंग में सफल ट्रेडर नहीं बना सकती है। एक स्ट्रेटेजी तभी हमरे लिए पूरी तरह फायदेमंद होगी जब हम उसे ट्रेडिंग प्लान के साथ ट्रेड करेंगे।
टेक्निकल एनालिसिस और रिस्क मेनेजमेंट के साथ ट्रेडिंग साइकोलॉजी के कॉम्बिनेशन से एक सही स्ट्रेटेजी बनती है। जो की लॉन्ग टर्म में हमें इंट्राडे ट्रेडिंग में कामयाब ट्रेडर बना सकती है।
निष्कर्ष- Conclusion of Best Intraday Trading Strategies
स्टॉक मार्केट में कई ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी के साथ काम किया जा सकता है। सभी का लक्ष्य मुनाफा कमाना होता है। कुछ ट्रेडिंग इंडिकेटर पर आधारित होती हैं तो कुछ चार्ट पैटर्न पर। ये एक ट्रेडर को डिसाइड करना होता है की उसके लिए कोनसी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी काम करती है।
जब भी आप Best Intraday Trading strategies बनाए तो उसे बैकटेस्ट जरूर करें। तभी ये समझ आ सकता है की ये ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी हमारे लिए सही है भी या नहीं। इंट्राडे ट्रेडिंग में समय कम होता है। इसलिए एक अच्छी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी का होना बहुत जरूरी है जिससे हम फास्ट तरीके से निर्णय ले सके।
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FAQs
1. इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए बेस्ट ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी कौनसी है?
कोई भी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी जो ट्रेडिंग प्लान के साथ की जाए वही बेस्ट इंट्राडे ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी हो सकती है। जैसे मुविंग एवरेज़ , पिवट पॉइंट स्ट्रेटेजी।
2. एक स्ट्रेटेजी हर दिन काम करती है?
नहीं , कोई भी स्ट्रेटेजी हर दिन काम नहीं करेगी, इसलिए जब सही सेटअप बने तभी ही स्ट्रेटेजी को अप्लाई करें।
3. इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए कोनसा टाइम फ्रेम बेस्ट होता है?
आमतौर पर ज़्यादातर ट्रेडर 1 मिनट से लेकर 5 मिनट के टाइम फ्रेम को सही समझते है। लेकिन एनालिसिस करते समय सभी बड़े टाइम फ्रेम को भी ध्यान में रखना चाहिए।
“Disclaimer: स्टॉक मार्केट में निवेश और ट्रेडिंग में जोखिम होता है, और इसमें पैसे का नुकसान भी हो सकता है। यह जानकारी सिर्फ सीखने उद्देश्य (Education Purpose Only) के लिए दी जा रही है, इसे निवेश की सलाह न समझें। कोई भी निर्णय लेने से पहले अच्छी तरह से रिसर्च करें या अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह लें।”
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