learn trading psychology in hindi

Learn Trading Psychology in Hindi: ट्रेडिंग साइकोलॉजी क्या है और क्यों जरूरी है?

ट्रेडिंग साइकोलॉजी (Trading Psychology in Hindi)! क्या आपने कभी सोचा है कि हम सभी एक ही मार्केट में, एक ही टूल्स और स्ट्रैटेजी का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इसके बावजूद सिर्फ कुछ ही ट्रेडर्स लगातार प्रॉफ़िट कमाते हैं, और ज़्यादातर लोग लगातार नुकसान उठाते हैं? इसका जवाब छिपा है ट्रेडिंग साइकोलॉजी (Trading Psychology) में।

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ट्रेडिंग सिर्फ चार्ट, कैंडल्स, और इंडिकेटर्स का खेल नहीं है यह हमारे दिमाग का भी खेल है। इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे हम अपने मन को कंट्रोल करके ट्रेडिंग में सफलता पा सकते हैं।

ट्रेडिंग साइकोलॉजी क्या है? (What is Trading Psychology in Hindi?)

ट्रेडिंग साइकोलॉजी का सीधा मतलब है – “ट्रेडिंग करते समय हमारी भावनाओं, सोच और व्यवहार को समझना और उन्हें मैनेज करना”। जी हाँ, ट्रेडिंग में यह उतना ही जरूरी है जितना कि स्टॉक का टेक्निकल एनालिसिस। अक्सर हम अच्छी स्ट्रेटजी, अच्छे सेटअप, अच्छा टेक्निकल एनालिसिस , चार्ट पैटर्न इस सभी के पीछे भागते है। लेकिन ये भी समझना जरूरी है की इन सभी का सही उपयोग तभी कर सकते है जब हमारा माइंडसेट और हमारी साइकोलॉजी(Trading Psychology) सही होगी। 

लोग सोचते हैं, मैं तो बस पैसा कमाने आया हूँ, साइकोलॉजी से क्या लेना-देना? लेकिन Business Standard के अनुसार SEBI की रिपोर्ट कहती है कि लगभग 90% ट्रेडर्स मार्केट में पैसा गवाते हैं। खासकर ऑप्शन ट्रेडर। इसलिए ट्रेडिंग में हमारी साइकोलॉजी बहुत ही अहम रोल निभाती है। 

क्यों जरूरी है ट्रेडिंग साइकोलॉजी? (Why is trading psychology important)

Trading Psychology
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  • भावनाएँ आपके फैसले बिगाड़ सकती हैं: जब हमारी साइकोलॉजी सही नहीं होती है तो हम अपनी भावनावों पर कंट्रोल नहीं कर पाते। जिससे डर, लालच, या उत्साह में हम गलत एंट्री या एक्जिट ले लेते हैं।
  • अनुशासन की कमी: जब हमारा माइंडसेट ही सही नही रहेगा तो हम किसी भी प्लान को सही से अप्लाई नहीं कर सकते जिससे बिना प्लान के ट्रेड करना या स्टॉप लॉस को इग्नोर करना आम बात हो जाती है।
  • ओवरकॉन्फिडेंस: ये भी हमारी साइकोलॉजी(Trading Psychology) का अहम हिस्सा है अक्सर जब हम मार्केट में होते हैं तो कुछ दिन प्रॉफिट आने के बाद खुद को “मार्केट का राजा” समझने लग जाते है। यही ओवरकॉन्फिडेंस से का हमारा ट्रेडिंग में लॉस हो जाता है।
  • स्ट्रेस और चिंता: जब मार्केट में हमें लगातार नुकसान होता है तो हम ट्रेडर्स तनाव में आ जाते हैं, जिससे हमारी ट्रेडिंग और खराब हो जाती है।

ट्रेडिंग में 5  सबसे बड़ी मानसिक गलतियाँ ( Biggest mistakes in Trading psychology in Hindi)

1. FOMO (Fear of Missing Out) – “यार, यह स्टॉक तो 10% ऊपर जा रहा है मैं भी खरीद लूँ!”

सबसे आम मिस्टेक जो हम मार्केट में करते है खासकर तब जब हम मार्केट में नये होते है। FOMO यानी “छूटने का डर”। जब कोई स्टॉक तेजी से बढ़ रहा होता है, तो हमें ये डर लगने लगता है की कहीं हमसे ट्रेड न छूट जाए, जिससे हम  ट्रेडर्स बिना एनालिसिस बिना रिस्क मेनेजमेंट के बस ट्रेड में कूद पड़ते हैं। जिसका नतीजा ये होता है की हम गलत एंट्री ले लेते है और अक्सर लॉस उठाते हैं।

समाधान: अब बात है इस साइकोलॉजिक मिस्टेक को ठीक कैसे करे? FOMO से बचने का एक ही तरीका है वो है सही ट्रेडिंग प्लान। अगर हम अच्छे से अपने ट्रेड की प्लानिंग करे जिसमे रिसर्च , टेक्निकल एनालिसिस और रिस्क मेनेजमेंट करके एक सही स्ट्रेटेजी बनाए और अपने प्लान के हिसाब से सही एंट्री और एक्ज़िट का इंतज़ार करे।

हमें ये ध्यान रखना है कि मार्केट हमेशा रहने वाला है , अगर कुछ ट्रेड नहीं भी मिले तो आने वाले समय में ट्रेड मिल जाएगे। FOMO के कारण गलत एंट्री ले के नुकसान करने से बेहतर है कि हम अपने प्लान पर बने रहे और सही एंट्री का इंतज़ार करे।

  • पहले से ट्रेड प्लान बनाएँ और उसी के अनुसार चलें।
  • बिना रिसर्च के कभी भी ट्रेड में एंटर न हों।
  • याद रखें: मार्केट में हर दिन नए अवसर आते हैं। FOMO में आकर गलत फैसले न लें।

2. रिवेंज ट्रेडिंग – “आज 10k लॉस हो गया, अब तुरंत रिकवर करूँगा!”

एक नये ट्रेडर कि दूसरी गलती होती है मार्केट से बदला लेने की । जब हमे किसी ट्रेड में या किसी दिन लॉस हो जाता है, तो हमारा माइंडसेट लॉस रिकवरी का हो जाता है की मुझे लॉस आज ही रिकवर करना है।

जाहीर से बात है लॉस होने पर हम दुखी होते हैं शायद गुस्सा भी हों, अब इस स्थिति के साथ हम जब दूसरी ट्रेड रिकवर करने के लिए करेंगे तो और गलत ट्रेड होने की संभावना ज्यादा हो जाती है। जिससे और लॉस हो जाता जाता है और हम रिवेंज ट्रेडिंग करने लगते है।

समाधान: इसका समाधान भी Trading Psychology में ही छुपा है , रिवेंज ट्रेडिंग से बचने का आसान तरीका है कि मार्केट सुप्रीम है हमें ये मान लेना है और मार्केट से बदला लेने कि बजाय सीख लें, लॉस होने पर मार्केट हमें कुछ न कुछ सिखाती है। और जब भी हमें लॉस होता है तो कुछ देर का ब्रेक लेना , ट्रेडिंग स्क्रीन से दूर हटकर थोड़ा शांति से सोचना ये मदद कर सकता है ।

इसके अलावा हमारा ट्रेडिंग प्लान  जिसमे रिस्क मेनेजमेंट का होना जरूरी है , इससे दिन का लॉस फिक्स कर ले अगर इस लॉस तक पहुँच जाते है तो उस दिन के लिए ट्रेडिंग बंद कर देना सही तरीका है। मार्केट अगले दिन नये अवसर देता है तो अगले दिन बेहतर मानसिकता के साथ ट्रेडिंग करेगे तो हमारी रिवेंज लेने कि सोच नही होगी।

  • ब्रेक लें। ट्रेडिंग स्क्रीन से दूर हटकर शांत हो जाएँ।
  • रोजाना एक लॉस लिमिट सेट करें (जैसे दिन में 5% से ज्यादा नुकसान नहीं)।
  • याद रखें: रिवेंज ट्रेडिंग से बचने का सबसे अच्छा तरीका है – “अगले दिन नए सिरे से शुरू करना।”

3. ओवरकॉन्फिडेंस – “मेरी स्ट्रैटेजी तो परफेक्ट है, अब गलती होगी ही नहीं!”

अक्सर शुरू में जब हम मार्केट में ट्रेडिंग करते है तो कुछ प्रॉफ़िट वाली ट्रेड्स के बाद हमें लगने लगता है कि वे मार्केट को को समझ गए हैं। हमारी स्ट्रैटेजी तो बिलकुल परफेक्ट है लॉस होने का कोई चान्स ही नहीं है । ये ओवरकॉन्फ़िडेंस ले आता है जिससे हम अपनी प्लानिंग और रिस्क मैनेजमेंट भूल जाते हैं और बड़े पोजीशन या बिना प्लानिंग के एंट्री लेने लगते हैं। और नुकसान करवा लेते है।

समाधान: ओवरकॉन्फिडेंस से हम तभी बच सकते हैं जब हम ये समझ ले कि मार्केट बहुत बड़ी है इसे पूरी ज़िंदगी सीखना ही है। कोई भी स्ट्रैटेजी हो या कोई भी प्लानिंग हो वो 100% हमारे हिसाब से ही चले ऐसा नही हो सकता है। इसलिए अपनी प्लानिंग पर ही टिके रहना है रिस्क मेनेजमेंट को फॉलो करके ही ट्रेड लेना है।

  • हर ट्रेड के साथ स्टॉप लॉस जरूर लगाएँ।
  • अपनी स्ट्रैटेजी को समय-समय पर टेस्ट करते रहें।
  • याद रखें: मार्केट हमेशा अनप्रिडिक्टेबल है। ओवरकॉन्फिडेंस हमें बर्बाद कर सकता है।

4. डर के मारे ट्रेड न करना – “कहीं लॉस न हो जाए, बेहतर है कुछ न करूँ”

स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग या इन्वेस्टिंग एक लंबी यात्रा है। इसे सीखने और समझने में हमें काफी समय लगता है। शुरुआत के समय में हमें अगर बहुत जादा लॉस हो जाता है कि हम इतने डर जाते हैं कि अच्छे अवसरों और अच्छे ट्रेड को भी मिस कर देते हैं। जिससे हमारा कॉन्फ़िडेंस और कम हो जाता है।

समाधान: जैसा कि अभी कहा कि ट्रेडिंग एक लंबी यात्रा है, तो जब भी हमें लगातार लॉस हो या कोई बड़ा लॉस हो जाए । इस स्थिति में ज्यादा डरने के बजाय सीखने पर ध्यान देना चाहिए , अपनी गलतियों से सीखना और नयी शुरुआत करना सही तरीका है। नये अवसर कि तलाश करते रहना और पूरी प्लानिंग और रिस्क मेनेजेमेंट के साथ फिर से ट्रेड करना है। नये अवसर में अगर प्रॉफ़िट बनाएँगे तो कोन्फ़िडेंस भी बढ़ेगा।

  • लॉस होने के बाद छोटे पोजीशन के साथ फिर से शुरुआत करें।
  • प्रैक्टिस करके कॉन्फिडेंस बढ़ाएँ।
  • याद रखें: डर को कंट्रोल करना सीखें, न कि उसे खुद पर हावी होने देना है।

5. “इस बार तो मार्केट ही गलत है!” – दोष मार्केट पर डालना

कभी-कभी हमारे साथ ऐसा होता कि हमारी एनालिसिस सही होने के वावजूद मार्केट हमारे अगेन्स्ट चला जाता है। जिससे हम मार्केट को दोष देने लगते है। जो कि सही नहीं है , इससे हमारी साइकॉलजी(Trading Psychology) प्रभावित होती है। और हम मार्केट के बारे में गलत धारणाएँ बना लेते है। जिसका हमें ही नुकसान उठाना पड़ता है। जबकि असली समस्या अक्सर हमारे अपने फैसलों में होती है।

समाधान: मार्केट में करोड़ों लोग ट्रेड करते है मार्केट उसी दिशा में जाता है जिस दिशा में अधिकतर लोग ट्रेड करते है। ये जरूरी नहीं कि हम हर बार सही ही हों। हमें ये समझना होगा कि मार्केट में हर दिन प्रॉफ़िट ही हो ये एक भ्रम है। मार्केट में जो हमें प्रोफिटेबल बनाता है वो है हमारी साइकॉलजी(Trading Psychology) , हमारा ट्रेडिंग प्लान , एनालिसिस, रिस्क मेनेजमेंट और हम कितना सीखने पर ध्यान देते है

  • हर ट्रेड के बाद सेल्फ-रिव्यू करें: “क्या मैंने प्लान फॉलो किया?”
  • गलतियों से सीखें, उन्हें छुपाएँ नहीं।
  • याद रखें: जिम्मेदारी लेना सीखें। यही हमें  एक बेहतर ट्रेडर बनाएगा।

Also Read: स्टॉक मार्केट क्या है? what is Stock Market ? पूरी जानकारी हिंदी में।

सफल ट्रेडर्स की कुछ मानसिक आदतें जो हमें अपनानी चाहिए

1. ट्रेडिंग प्लान – आपका “गुरु मंत्र”

अक्सर नये ट्रेडर बिना ट्रेडिंग प्लान के बस buy-sell  करना शुरू कर देते है । जो कि हमें नुकसान के अलावा कुछ नहीं देता है। अगर हमें स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग करके सफल होना है तो एक लिखित ट्रेडिंग प्लान होना जरूरी है।  जिसमें टेक्निकल एनालिसिस , रिस्क मेनेजमेंट को ध्यान में रख कर, किस स्टॉक में हमे ट्रेड करना है किस प्राइस पर एंट्री और एक्ज़िट करना है। कितना लॉस और कितना प्रॉफ़िट लेना है। ये सभी एक ट्रेडिंग प्लान का हिस्सा है। जो हमें एक सफल ट्रेडर बनाता है।

  • किस प्राइस पर एंटर करना है?
  • स्टॉप लॉस और टेक प्रॉफिट क्या है?
  • रिस्क कैपिटल का कितना % इस्तेमाल करना है?

याद रखें: बिना प्लान के ट्रेडिंग, बिना मैप के जंगल में घूमने जैसा है!

2. धैर्य – “समय आने दो, फल मीठा होगा”

हमने एक ट्रेडिंग प्लान बना लिया है। अब हमें जरूरत है धैर्य की। ट्रेडिंग प्लान तभी फायदेमंद होगा जब हम उसे सही समय पर उपयोग करेंगे। हमें धैर्य के साथ प्लान के हिसाब से अपनी एंट्री का इंतज़ार करना चाहिए। FOMO से बचना होगा। सफल ट्रेडर्स कई समय तक सिर्फ एक परफेक्ट सेटअप के लिए इंतज़ार करते है।

3. जर्नलिंग – अपने ट्रेड्स का “डायरी रिकॉर्ड”

एक आदत जो हमें अपनी गलतियों को ठीक करने में मदद करती है वो है कि हम रोजाना अपनी ट्रेड्स को नोट करते रहे। जो भी ट्रेड लिए हों सभी के बारे में एक रिकॉर्ड बना कर रखना ही जर्नलिंग है।

हमने ट्रेड किस कंडिशन में लिया , क्या एंट्री थी क्या प्रॉफ़िट टार्गेट था। प्रॉफ़िट हुआ कि लॉस। लॉस हुआ तो क्यूँ हुआ। सभी तरह के कारण जब हम नोट करते रहेगें तो हमें सीखने में और अगले दिन वो गलतियाँ न दोहरने में मदद मिलेगी।

  • क्यों एंटर किया?
  • इमोशनल थे या लॉजिकल?
  • क्या सीखा?

यह आदत आपको पैटर्न्स समझने और गलतियाँ दोहराने से रोकेगी।

4. छोटी शुरुआत – “रातों-रात अमीर बनने का सपना छोड़ें”

आजकल के डिजिटल जमाने में हम यूट्यूब या अन्य कोई सोशल मीडिया में दूसरों के बड़े बड़े प्रॉफ़िट देखकर हम ट्रेडिंग करने आते है और साथ में जल्दी से जल्दी अमीर होने का सपना साथ लाते है। तो हमें ये समझना होगा की ट्रेडिंग को स्टॉक मार्केट को एक बिजनेज की तरह समझे , टाइम देना पड़ता है , सीखना पड़ता है प्रैक्टिस करनी पड़ती है फिर जाके यहाँ पर कामयाब ट्रेडर बना जा सकता है।

ट्रेडिंग में कोई शॉर्टकट नहीं है। रातों रात अमीर होने के सपने के साथ स्टॉक मार्केट में नहीं आना चाहिए। छोटे कैपिटल से शुरू करें और धीरे-धीरे स्केल करें।

5. लाइफ-ट्रेडिंग बैलेंस – “ट्रेडिंग ही जिंदगी नहीं”

कुछ लोग ये समझते है की एक फुल्ल टाइम ट्रेडर का मतलब होता है की वो 24×7 चार्ट्स देखते रहते है ,पूरे दिन ट्रेड करते रहना है। जबकि ऐसा होता नहीं है। ट्रेडिंग और लाइफ में बैलेन्स होना जरूरी है। ट्रेडिंग और खुद की लाइफ को सही से मेनेज करना भी जरूरी होता है। एक सफल ट्रेडर दोनों को बैलेन्स करता है। दोस्तों, परिवार और हॉबीज के लिए भी समय निकालें।

ट्रेडिंग साइकोलॉजी(Trading Psychology) सुधारने के प्रैक्टिकल टिप्स

1. मेडिटेशन और एक्सरसाइज – दिमाग को शांत रखें

अपने माइंडसेट को सही करना हो तो माइंड को फिट रखना जरूरी होता है जिसके लिए हम रोजाना कुछ मिनट की मेडिटेशन या योगा कर सकते है। इससे हमारा फोकस बढ़ेगा और सही डिसीजन्स लेने में मदद होगी।

2. “ट्रेडिंग बुक्स” पढ़ें – गुरुओं का ज्ञान लें

स्टॉक मार्केट बहुत बड़ी जगह है , जहाँ  पर सीखते रहना बेहद जरूरी है। इसके लिए हम अच्छी किताबे पढ़ सकते है।

कुछ बेहतरीन किताबें:

  • Trading in the Zone by Mark Douglas
  • The Psychology of Trading by Brett Steenbarger

3.  कम्युनिटी से जुड़ें

वैसे तो मार्केट से बड़ा कोई टीचर नहीं है लेकिग हम अनुभवी ट्रेडर्स से बात करके अपने विचार साझा कर सकते है। जिससे हम कुछ नयी चीज़ें सीख सकते है।

निष्कर्ष: ट्रेडिंग साइकोलॉजी (Trading Psychology in Hindi) 

ट्रेडिंग साइकोलॉजी (Trading Psychology) कोई “ऑप्शनल सब्जेक्ट” नहीं है अगर हमें सफल ट्रेडर बनना है तो अपनी साइकॉलजी को हमें बेहतर करना ही होगा। इसे हम ट्रेडिंग में सफलता की बुनियाद कह सकते है। जिस तरह एक एथलीट फिजिकल ट्रेनिंग के साथ मेंटल स्ट्रेंथ भी बनाता है, वैसे ही ट्रेडर्स को भी अपने दिमाग को ट्रेन करना चाहिए।

अगले बार जब हम ट्रेड करने बैठें, तो खुद से पूछें: “क्या यह फैसला मेरी स्ट्रैटेजी का हिस्सा है या सिर्फ एक इमोशनल डिसिशन?” इस सवाल का जवाब ही हमें एक सफल ट्रेडर बनाएगा।

Also Read: What is Trading? ट्रेडिंग क्या है? ट्रेडिंग में सफल कैसे बने, पूरी जानकारी

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

Q1.  ट्रेडिंग साइकोलॉजी (Trading Psychology)क्या है?
ट्रेडिंग करते समय हमारी भावनाओं, सोच और व्यवहार को समझना और उन्हें मैनेज करना।

Q2. ट्रेडिंग साइकोलॉजी(Trading Psychology) कैसे विकसित करें??
सीखते रहना ही एक मात्र तरीका है जिससे हम अपनी साइकॉलजी को विकसित कर सकते हैं। सही ट्रेडिंग प्लान बनाना और प्रैक्टिस कर सीखते रहना चाहिए।

Q3. कितने समय में ट्रेडिंग साइकोलॉजी (Trading Psychology)बेहतर की जा सकती है?
यह हमारी प्रैक्टिस और सेल्फ-अवेयरनेस पर निर्भर करता है। कुछ हफ्तों से लेकर महीनों तक लग सकते हैं।

“Disclaimer: स्टॉक मार्केट में निवेश और ट्रेडिंग में जोखिम होता है, और इसमें पैसे का नुकसान भी हो सकता है। यह जानकारी सिर्फ सीखने उद्देश्य (Education Purpose Only) के लिए दी जा रही है, इसे निवेश की सलाह न समझें। कोई भी निर्णय लेने से पहले अच्छी तरह से रिसर्च करें या अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह लें।”

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